आज का वचन:- प्रभु में सदा आनन्दित रहो। ( फिलिप्पियों 4:4 ) View All

संकट और क्लेश, लूका 21:7 - 19, Crisis and Ribulation - Luke 21:7 - 19

संकट और क्लेश



7 उन्होंने उस से पूछा, हे गुरू, यह सब कब होगा और ये बातें जब पूरी होने पर होंगी, तो उस समय का क्या चिन्ह होगा?

8 उस ने कहा; चौकस रहो, कि भरमाए जाओ, क्योंकि बहुतेरे मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं वही हूं; और यह भी कि समय निकट पहुंचा है: तुम उन के पीछे चले जाना। 

9 और जब तुम लड़ाइयों और बलवों की चर्चा सुनो, तो घबरा जाना; क्योंकि इन का पहिले होना अवश्य है; परन्तु उस समय तुरन्त अन्त होगा।

10 तब उस ने उन से कहा, कि जाति पर जाति और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा

11 और बड़ें बड़ें भूईडोल होंगे, और जगह जगह अकाल और महामारियाँ पड़ेंगी, और आकाश में भयंकर बातें और बड़े बड़े चिन्ह प्रगट होंगे

12 परन्तु इन सब बातों से पहिले वे मेरे नाम के कारण तुम्हें पकड़ेंगे, और सताएंगे, और पंचायतों में सौपेंगे, और बन्दीगृह मे डलवाएंगे, और राजाओं और हाकिमों के साम्हने ले जाएंगे।

13 पर यह तुम्हारे लिये गवाही देने का अवसर हो जाएगा।

14 इसलिये अपने अपने मन में ठान रखो कि हम पहिले से उत्तर देने की चिन्ता करेंगे।

15 क्योंकि मैं तुम्हें ऐसा बोल और बुद्धि दूंगा, कि तुम्हारे सब विरोधी साम्हना या खण्डन कर सकेंगे।

16 और तुम्हारे माता पिता और भाई और कुटुम्ब, और मित्र भी तुम्हें पकड़वाएंगे; यहां तक कि तुम में से कितनों को मरवा डालेंगे।

17 और मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे

18 परन्तु तुम्हारे सिर का एक बाल भी बांका होगा।

19 अपने धीरज से तुम अपने प्राणों को बचाए रखोगे॥


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