आज का वचन:- प्रभु में सदा आनन्दित रहो। ( फिलिप्पियों 4:4 ) View All

आह वह प्यारी सलीब

आह वह प्यारी सलीब मुझको दीख पड़ती हैं , एक पहाड़ी पर जो खड़ी थी । कि मसीह - ए - मसलूब ने नदामत उठा , गुनाहगारों की खातिर जान दी ।

आह वह प्यारी सलीब

1 . आह वह प्यारी सलीब मुझको दीख पड़ती हैं ,
एक पहाड़ी पर जो खड़ी थी
कि मसीह - - मसलूब ने नदामत उठा ,
गुनाहगारों की खातिर जान दी
बस छोडूंगा प्यारी सलीब , जब तक दुनियां में होगा कयाम
लिपटा रहूंगा मैं उसी से , कि मसलूब में है अबदी आराम


2 . आह वह प्यारी सलीब जिसकी होती तहकीर ,
है मुझको बेहद दिल अज़ीज
कि खुदा के महबूब और जलाली मसीह ,
ने सहा वहाँ दु : बेनज़ीर


3 . मुझे प्यारी सलीब में , जो लहूलुहान ,
नज़र आती है खूबसूरती
कि
खुदा के मसीह ने कफ्फार दिया
ताकि मिले मुझे जिन्दगी


4 . मैं उस प्यारी सलीब का रहूं वफादार ,
सिपाही हमेशा ज़रूर
जब तक मेरा मसीह करेगा मुझे,
अपने
अबदी जलाल में मंजूर

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