भजन संहिता 1:3

भजन संहिता 1:3
वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है॥ भजन संहिता 1:3


खुदावंद का कलाम पढ़े जाने और बाटे जाने से आपको आशीष मिले

Post a Comment

Previous Post Next Post