प्रभु भोज

प्रभु भोज

1 . आरास्ता हो मेरी जान ,
कि बिछा है अब दस्तरख्वान
जांच अपने को आरास्ता हो
खुदावन्द
की जियाफत को

2 . खुदावन्द मैं हूं खताकार ,
और हूँ हर बात में गुनहगार
मैं बुरे पेड़ की डाली हूँ
और
अच्छे फल से खाली हूँ

3 . तू अपने कामिल फज़ल से
आरास्तगी
को मुझे दे
बे - रिया गम गुनाहों का  
और हक  ईमान दे मुंजी का

 4 . खुदावन्द , मेरे तू हबीब
मैं तेरा बन्द हूँ गरीब ,
 मैं भूखा प्यासा आता हूँ
आसूदा
हुआ चाहता हूँ

 5 . मसीह जो निआमत तेरी है ,
 उस ही से दिल की सेरी है ,
 आरास्ता हो मेरी जान ,
 देख बिछा है एक दस्तरख्वान

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